मेडिकल फर्जीवाड़ा: एफडीए ने जब्त की नकली एंटीबायोटिक दवाएं, निर्माता कंपनी अस्तित्व में ही नहीं

महाराष्ट्र में दवाओं के फर्जीवाड़ा की खबर सामने आ रही है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने नागपुर के एक सरकारी अस्पताल में फर्जी दवा रैकेट का भंडाफोड़ करके 21,600 से अधिक ‘एंटीबायोटिक’ गोलियां जब्त की हैं। इस फर्जीवाड़ा केस में ठाणे निवासी एक व्यक्ति समेत तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, जो पहले से ही इसी तरह के मामले में जेल में हैं।
एफडीए के एक अधिकारी ने कहा कि दवाओं पर अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर संदेह हुआ, जिसके बाद इसे हाल ही में इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से जब्त किया गया है, यहीं से जिले में सरकारी सुविधाओं के लिए दवाओं की आपूर्ति होती है।
एफडीए अधिकारी ने कहा कि सिप्रोफ्लोक्सासिन की नकली गोलियां पूरे महाराष्ट्र के कई सरकारी अस्पतालों में भेजी गई थीं। इन दवाओं को मुख्यरूप से जीवाणु संक्रमणों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
दवाओं में एंटीबोयिटिक्स की मात्रा ही नहीं
पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया, मार्च 2023 में एफडीए ने नागपुर के एक सरकारी अस्पताल से ‘सिप्रोफ्लोक्सासिन’ गोलियों के सैंपल एकत्रित करके इसे परीक्षण के लिए मुंबई की एक सरकारी प्रयोगशाला में भेजा गया था। दिसंबर 2023 में आई परीक्षण रिपोर्ट से पता चला कि गोलियों का कोई औषधीय महत्व नहीं था, क्योंकि उनमें सिप्रोफ्लोक्सासिन की मात्रा ही नहीं थी।
चूंकि इन टैबलेट्स की आपूर्ति नागपुर स्थित इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज से की गई थी, इसलिए एफडीए अधिकारियों ने हाल ही में वहां स्टोर पर छापा मारकर 21,600 गोलियों का स्टॉक जब्त किया है।
दवा निर्माता कंपनी ही अस्तित्व में नहीं
जांच के दौरान पाया गया है कि दवा की निर्माता ‘रिफाइंड फार्मा’ है जोकि गुजरात की बताई जाती है पर अधिकारी ने कहा, ऐसी कोई कंपनी असल में अस्तित्व में ही नहीं है। रिपोर्ट में अधिकारियों ने बताया, इन नकली दवाओं के खाने से संक्रमण ठीक करने में कोई लाभ नहीं मिलता, क्योंकि इनमें मुख्य एंटीबायोटिक सॉल्ट ही नहीं है। इसके सेवन से सेहत को नुकसान होने का भी खतरा हो सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।