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Research: उत्तर भारत की 40 साल से कम उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा ज्यादा, इलाज भी प्रभावी नहीं

उत्तर भारत की 40 साल से कम उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा ज्यादा है। वहीं संक्रमित महिलाओं पर इलाज की पद्धतियां भी कारगर साबित नहीं हो रहीं। इसकी पुष्टि पीजीआई के सर्जरी विभाग में हुए शोध में हो रही है। 

इस शोध में पाया गया है कि चंडीगढ़ के साथ ही पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की 40 साल से कम उम्र की महिलाएं इसकी चपेट में ज्यादा आ रही हैं। जबकि विदेशों में यह कैंसर 50 साल के बाद कॉमन है। पीजीआई में हुए शोध स्थिति की गंभीरता की ओर संकेत कर रहे हैं। जिससे यह भी साबित हो रहा है कि इसे लेकर सचेत होने की जरूरत है। वहीं इसके बीच पीजीआई के मरीजों का आंकड़ा बयां कर रहा है कि स्तन कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ रहा है। परिणामत: ओपीडी के मरीजों की संख्या के बढ़ने से भर्ती मरीजों की संख्या तेजी से कम हो रही है।

शोध को करने वाले सर्जरी विभाग के डॉ. विपेंद्र ने बताया कि विदेशों में हुए शोध का संदर्भ लेते हुए उत्तर भारत से आने वाले केस की स्थिति का आकलन किया गया है। इस शोध में स्तन कैंसर से ग्रस्त 120 महिलाओं को शामिल किया गया। इसमें चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की मरीजों को शामिल किया गया। उनमें से ज्यादातर की उम्र 40 साल से कम थी। जबकि फैमिली हिस्ट्री या इसके कारण माने जाने वाले तथ्य उनमें न के बराबर थे। इससे ये बात सामने आई कि विदेशों से 10 साल पहले ही उत्तर भारत की महिलाओं में इस मर्ज का जोखिम है। इसलिए बचाव के सभी उपायों का पालन समय रहते सुनिश्चित होना बेहद जरूरी है।

इलाज भी प्रभावित
डॉ. विपेंद्र ने बताया कि स्तन कैंसर में सर्जरी और कीमो के माध्यम से इलाज किया जाता है। लेकिन इस क्षेत्र के कैंसर में सर्जरी के केस में दोबार संक्रमण का खतरा ज्यादा पाया गया। वहीं कीमो कराने वाली महिलाओं पर दवाओं का असर भी कम पाया गया। इसके कारणों की जांच के लिए कैंसर ट्यूमर का कल्चर किया गया। जिसमें पाया गया कि इलाज की धीमी रफ्तार के लिए उनके कैंसर ट्यूमर में पाए जाने वाले हार्मोन रिसेप्टर जिम्मेदार हैं। जो उनके इलाज को ज्यादा जटिल बना रहा है।

स्तन कैंसर आप भी जान लें
स्तन कैंसर, महिलाओं के स्तनों के अंदर विकसित होने वाला एक तरह का कैंसर है। आमतौर पर यह रोग महिलाओं को प्रभावित करता है, लेकिन वर्तमान में यह पुरुषों को भी प्रभावित कर सकता है। ज्यादातर इन मामलों में एक या फिर एक से अधिक गांठ का निर्माण होता है। इन गांठों को स्तनों के अंदर आसानी से महसूस किया जा सकता है। यह गांठ स्तन के ऊपरी या निचले भाग में होते हैं।

कारणों पर करें गौर
अधिक उम्र, अधिक वजन, परिवार का इतिहास, आहार और व्यवहार, शराब और तंबाकू के सेवन।

ये लक्षण हैं गंभीर
स्तन में या बांह के नीचे गांठ या मोटा होना
स्तन के आकार या आकृति में परिवर्तन
निपल से स्राव या निपल का कोमल होना
स्तन या निपल की त्वचा के रंग या बनावट में बदलाव (जैसे कि गड्ढे, सिकुड़न, पपड़ीदारपन या नई सिलवटें)
पपड़ीदार, मोटा या अंदर की ओर मुड़ने वाला निपल

इलाज की तकनीक
सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी , कीमोथेरेपी हार्मोन थेरेपी से स्तन कैंसर की कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद मिलती है।

पीजीआई में स्तन कैंसर के भर्ती मरीजों की स्थिति
साल                       भर्ती मरीज

2019                        366
2020                        344
2021                        335
2022                        260
2023                        244

ओपीडी बयां कर रही जागरूकता
साल                    ओपीडी के मरीज

2020                       570
2021                       622
2022                       857

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