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Study: 6 घंटे से भी कम नींद से शॉर्ट टर्म मेमोरी को नुकसान, बातों को फिर से याद करने की क्षमता होती है बाधित

किसी रात महज 6 घंटे से कम मिली नींद अगले दिन के लिए व्यक्ति की शॉर्ट-टर्म मेमोरी बाधित कर सकती है। 24 घंटे से ज्यादा समय बिना सोये गुजारने पर व्यक्ति को नशे में होने जैसा अनुभव हो सकता है। यह दावे अमेरिकी वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने नींद को लेकर किए हैं।

दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में मेडिसिन विभाग में निद्रा विशेषज्ञ डॉ. रिचर्ड कास्ट्रियोट्टा के अनुसार किसी रात में 6 घंटे से कम ली गई नींद व्यक्ति में याददाश्त बनाने और भविष्य में इन बातों को फिर से याद करने की क्षमता को बाधित करती है। नींद की कमी सभी को एक जैसा प्रभावित नहीं करती, लेकिन इसका असर दिमाग पर अवश्य होता है। पेन मेडिसिन में निद्रा विशेषज्ञ डॉ. इंदिरा गुरुभगवतुला उदाहरण देती हैं कि इसकी वजह से हम छोटी-छोटी बातें जैसे चाबी कहां रखी है, अमुक परिचित का नाम क्या है, आदि भूल सकते हैं।

एक बुरी रात के नुकसान की भरपाई कई रातों की ठोस नींद
हमारे सिर के सामने के हिस्से फ्रंटल लोब का काम यादों को दोहराना और काम अंजाम देने में मदद करना है। वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के बिहेवियरल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. माइकल रोसेनब्लूम के अनुसार नींद की कमी से इस पर भी नकारात्मक असर होता है, जो काफी समय तक बना रह सकता है। डॉ. गुरुभगवतुला के अनुसार एक रात की बुरी नींद को नुकसान दूर करने में कई रातों की ठोस नींद की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने के साथ सुधार में और वक्त लग सकता है।

रेम स्लीप के लिए खतरनाक
नींद से मिले आराम के बाद हमारा दिमाग सोते समय बीते दिन बने न्यूरॉन्स के बीच संपर्कों को मजबूत और संयोजित करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसी दौरान रेपिड आई मूवमेंट (रेम) स्लीप प्रक्रिया पूरी होती है। डॉ. गुरुभगवतुला के अनुसार यही रेम-स्लीप यादों को हमारे मस्तिष्क में हमेशा के लिए लॉक करने में अहम भूमिका निभाती है। यानी आराम पूरा मिलने के बाद जारी रहने वाली नींद कोई निष्क्रिय प्रक्रिया नहीं है।

सामने हो रही चीजें भी ठीक से याद नहीं रहतीं
अगर आप ठीक से नहीं सोये हैं तो सामने घट रही चीजों पर भी पूरी तरह ध्यान देने में संघर्ष महसूस करेंगे, स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी और न्यूरोलॉजिकल साइंसेस की प्रोफेसर डॉ. शेरॉन शा उदाहरण देती हैं। हमारा दिमाग पूरी तरह से वहां मौजूद नहीं होगा, इसमें अंकित हो रही सूचनाएं भी सीमित रह जाएंगी। परिणाम, बाद में इन चीजों या जानकारी को याद करने में दिक्कत महसूस होगी।

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