मिलावट से खतरे में सेहत: पनीर, दूध बेसन घी नकली, कचरी सॉस में मिलाए खतरनाक रंग, 77 में से 40 नमूने फेल
खाद्य पदार्थों में मिलावट से सेहत खतरे में है। बाजार में खाने- पीने की आधे से ज्यादा चीजों में मिलावट निकल रही है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) द्वारा ली गई 77 खाद्य पदार्थों की रिपोर्ट आई है, जिनमें से 40 नमूने मानकों पर फेल निकले हैं। इनमें 31 अधोमानक, तीन असुरिक्षत और छह मिथ्याछाप निकले, जो लिए गए नमूनों का करीब 51.95 प्रतिशत है।
नमूने पनीर, दूध, बेसन, घी, कचरी, सॉस, तेल, नमकीन और मिठाइयों आदि के हैं। कचरी और सॉस में खतरनाक रंग मिलाए गए थे, जबकि दूध, घी और पनीर में अलग से फैट मिलाया गया था। मिठाइयों को चमकाने के लिए ज्यादा मात्रा में फूड कलर मिलाया गया था।
सरसों के तेल में पाम आयल निकला। मिलावट करने वालों के खिलाफ कोर्ट ने 37 लाख 75 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। हालांकि मिलावटखोर फिर भी सुधर नहीं रहे हैं, क्योंकि अक्सर ज्यादातर खाद्य पदार्थों की रिपोर्ट मानकों पर खरी उतरती है।
लचर कार्यप्रणाली है जिम्मेदार
लचर प्रशासनिक कार्यप्रणाली के कारण मिलावटखोरों पर पूरी तरह से शिकंजा नहीं कस पाता है। मिलावट के लगभग सभी मामलों में जुर्माना लगता है, सजा नहीं हो पाती है। जिले में पिछले पांच साल में सजा का कोई मामला नहीं है।
हालांकि, भारतीय दंड संहिता में मिलावटखोरों पर कड़ी सजा का प्रावधान है, लेकिन मिलावट से संबंधित 90 फीसदी मामले प्रशासनिक कोर्ट में स्थानांतरित हो जाते हैं, जिस कारण वह न्यायालय की कार्रवाई से बच जाते हैं।
मिलावटी खाने से किडनी और पेट संबंधी रोग हो सकते हैं। ऐसे खाने से दूर रहें। मिलावटी तेल और घी का दिल पर तेजी से असर होता है। धमनियों में चिकनाई जम जाती है। हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। -डॉ. तनुराज सिरोही, फिजिशियन
विभाग की टीमें लगातार सक्रिय हैं। खाद्य पदार्थों के सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजे जाते हैं और रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाती है। जो नमूने असुरक्षित पाए जाते हैं उनमें एफआईआर दर्ज कराई जाती है। इनमें 6 माह से लेकर आजीवन कारावास तक सजा का प्रावधान है। तीन लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है।-दीपक सिंह, अभिहित अधिकारी, एफएसडीए