
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई की। सात जजों की संविधान पीठ ने 4-3 के बहुमत से यह फैसला सुनाया कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा। कोर्ट ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक अल्पसंख्यक संस्थान है, जो संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अपने अधिकारों का हकदार है
मुख्य न्यायाधीश ने इस फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी धार्मिक समुदाय शैक्षिक संस्थान की स्थापना कर सकता है, लेकिन वह इसके प्रशासन को नियंत्रित नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे संस्थान सरकारी नियमों और विधियों के अनुरूप स्थापित किए जा सकते हैं
हालांकि, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर तीन जजों की नई बेंच बनेगी, जो इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी। नई बेंच यह तय करेगी कि एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा किस आधार पर रखा जाएगा और ऐसे संस्थानों के लिए मानदंड भी निर्धारित करेगी
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के दौरान यह भी उल्लेख किया कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार प्राप्त है। इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जेबी पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे