मां अन्नपूर्णा मंदिर का 48 साल बाद हुआ कुंभाभिषेक, शुभ मुहूर्त में शंकराचार्य ने किया पूजन

काशी में 48 साल बाद मां अन्नपूर्णा मंदिर का कुंभाभिषेक संपन्न हुआ। शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में शृंगेरी मठ के शंकराचार्य विधुशेखर भारती ने रजत कलश से कुंभाभिषेक किया। शंकराचार्य ने पहले मां अन्नपूर्णा की पूजा- अर्चना की। इसके बाद पूजन सामग्री को मंदिर के शिखर पर ले जाया गया। जहां शंकराचार्य ने विधि- विधान से कुंभाभिषेक किया।
काशी में पहली बार ऐसा हो रहा है जिसमें चार वेदों, 18 पुराणों के पारायण के साथ पांच अनुष्ठान हो रहे हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस महानुष्ठान में सात राज्यों से 1100 से अधिक वैदिक विद्वान शामिल हैं। खास ये भी है कि आदि शंकराचार्य के एक पीठ के शंकराचार्य भी इसमें शामिल हैं।
काशी में हमेशा तमाम अनुष्ठान होते हैं। कभी सहस्त्रचंडी तो कभी कुमकुमार्चन। किसी वेद तो किसी पुराण का पाठ होता है। लेकिन, एक से नौ फरवरी तक मां अन्नपूर्णा मंदिर के कुंभाभिषेक के तहत अन्नपूर्णा मंदिर और महमूरगंज स्थित शृंगेरी मठ में एक साथ पांच अनुष्ठान हो रहे हैं।
काशी के वैदिक विद्वानों का मानना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है। कुंभाभिषेक के संयोजक प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि कुंभाभिषेक के साथ विश्व के कल्याण, देश के परम वैभव की कामना के लिए ये अनुष्ठान हो रहे हैं। पहली बार चारों वेद की शाखाओं, 18 पुराणों के मूल रूप का पाठ हो रहा है।
मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए कोटि कुमकुमार्चन, सहस्त्रचंडी यज्ञ, 25 सुहागिनों का पूजन हो रहा है। इसके साथ कोटि सहस्त्रार्चन और 10 महाविद्याओं का जप हो रहा है। उधर, केदारघाट स्थित शृंगेरी मठ के ही शाखा में महारुद्र यज्ञ भी चल रहा है।