उत्तर प्रदेश
“इटावा का इतिहास – सभ्यता, सत्ता और स्वतंत्रता का संगम”
इटावा (Etawah) का इतिहास बहुत समृद्ध और प्राचीन है। यह उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में, यमुना नदी के किनारे बसा हुआ एक ऐतिहासिक शहर है। नीचे इसका संक्षिप्त लेकिन विस्तृत इतिहास दिया गया है 👇
🏛️ प्राचीन काल
- महाभारत काल में इटावा क्षेत्र पंचाल राज्य का हिस्सा माना जाता है।
- यहाँ के आस-पास के क्षेत्र में सैफई, भरथना, जसवंतनगर आदि स्थान प्राचीन सभ्यता के केंद्र रहे हैं।
- पुरातत्व खुदाइयों में यहाँ गुप्त काल और मौर्य काल की वस्तुएँ भी मिली हैं, जिससे पता चलता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही आबाद था।
⚔️ मध्यकाल
- इटावा पर कई शासकों का शासन रहा है — पहले गुर्जर-प्रतिहारों का, फिर दिल्ली सल्तनत और बाद में मुगलों का।
- मुगल काल में इटावा एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र था।
- अकबर ने इसे आगरा सूबे में शामिल किया था।
- यहाँ से कर संग्रह और प्रशासनिक कार्य देखे जाते थे।
- 18वीं सदी में मुगलों की शक्ति कमजोर होने पर यह क्षेत्र मराठों और अवध नवाबों के बीच संघर्ष का केंद्र बना।
🇬🇧 ब्रिटिश काल
- 1801 में इटावा ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया, जब अवध के नवाब ने यह क्षेत्र ब्रिटिशों को सौंप दिया।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इटावा के लोगों ने भी सक्रिय भाग लिया।
- यहाँ विद्रोह भड़का और कई स्थानों पर अंग्रेजों से संघर्ष हुआ।
- ब्रिटिश शासनकाल में इटावा एक प्रमुख जिला मुख्यालय बना और प्रशासनिक दृष्टि से विकसित हुआ।
🏞️ स्वतंत्रता के बाद
- स्वतंत्रता के बाद इटावा उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा बना।
- यहाँ सैफई गाँव से देश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव का राजनीतिक प्रभाव रहा है।
- आज इटावा शिक्षा, कृषि, और राजनीति के क्षेत्र में एक प्रमुख जिला है।
- इटावा लायन सफारी और चंबल अभयारण्य यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।
📍भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताएँ
- इटावा की सीमाएँ कानपुर देहात, औरैया, मैनपुरी, फिरोजाबाद, और आगरा जिलों से मिलती हैं।
- यह शहर यमुना और चंबल नदियों के संगम के पास स्थित है।
- भाषा: मुख्यतः हिंदी और ब्रजभाषा बोली जाती है।
- यह क्षेत्र अपने लोकगीतों, लोकनृत्यों और पारंपरिक मेलों के लिए प्रसिद्ध है।



