“बिहार में 8% ज्यादा वोटिंग — जनता ने किसे दिया इशारा?”

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग खत्म हो चुकी है और अब सभी की नज़रें वोटिंग प्रतिशत पर टिकी हैं।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार मतदान में रिकॉर्ड 8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है — और यहीं से शुरू हो गई है सियासी हलचल।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज़ है —
“क्या बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन होने वाला है?”
क्योंकि इतिहास यही कहता है —
👉 जब-जब बिहार में 5% से ज़्यादा वोटिंग बढ़ी है, तब-तब सरकार बदली है।
पिछले चुनावों का ट्रेंड क्या कहता है:
- 2005 – वोटिंग बढ़ी 5.6% ➡️ RJD की विदाई, NDA की एंट्री
- 2015 – वोटिंग में उछाल ➡️ NDA हारा, महागठबंधन की सरकार
- 2020 – वोटिंग में गिरावट ➡️ नीतीश कुमार ने किसी तरह सत्ता बचाई
- 2025 – अब 8% की छलांग!
इतिहास के ये आंकड़े बता रहे हैं कि जनता इस बार बदलाव के मूड में है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बढ़ी हुई वोटिंग के पीछे
युवा मतदाता और पहली बार वोट डालने वालों की बड़ी भूमिका है।
यह वर्ग इस बार रोजगार, विकास और सुशासन जैसे मुद्दों पर वोट करता दिखा।
अब सवाल उठ रहा है —
क्या ये 8% इज़ाफ़ा तेजस्वी यादव के पक्ष में जाएगा?
या फिर नीतीश कुमार और NDA के लिए बनेगा नया सिरदर्द?



