“जीरो टॉलरेंस की नीति से मिल रहा न्याय , योगी सरकार की तारीफ करने वाली विधायक पूजा पाल सपा से निष्कासित

समाजवादी पार्टी की बागी विधायक पूजा पॉल पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। अब वह सपा के किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकेंगी।
बता दें कि विधायक पूजा पाल ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की थी। उन्होंने एक बयान में कहा था कि अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति से उन्हें भी न्याय मिला है। उन्होंने कहा था कि अतीक अहमद ने मेरे पति की हत्या की थी और योगी सरकार की अपराधों के प्रति नीति के कारण उनकी तरह प्रयागराज की कई महिलाओं को न्याय मिला।
बताया जाता है कि सपा नेता उनके इस बयान से असहज थे क्योंकि वो प्रदेश में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने का काम करते हैं। यूपी के मानसून सत्र में भी नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए और कहा कि अपराधियों का जाति और धर्म देखकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
निष्कासन के लिए जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि पूजा पाल के द्वारा किया गया कार्य पार्टी विरोधी और गंभीर अनुशासनहीनता है। अत: उन्हें तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जाता है। उन्हें सपा के सभी पदों से भी हटा दिया गया है अब वह पार्टी के किसी भी कार्यक्रम और मीटिंग में हिस्सा नहीं ले सकेंगी और न ही उन्हें आमंत्रित किया जाएगा।
सपा से निकाले जाने के बाद विधायक पूजा पाल भावुक नजर आईं। उन्होंने कहा कि मेरे पति की हत्या की अतीक अहमद ने की थी और फिर योगी सरकार ने मुझे न्याय देते हुए अतीक अहमद को सजा दी। ये कहना गलत नहीं है कि मुझे न्याय मिला है। मैं मुलायम सिंह यादव के समय से सपा से नहीं जुड़ी थी। मुझे लगा कि अखिलेश यादव अपराधियों से नफरत करते हैं इसलिए सपा में शामिल हुई थी। ये बात सच है कि मेरे दुश्मनों को खत्म किया गया है।
सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय, विधायक राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चुतर्वेदी और आशुतोष मौर्य ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ को मतदान किया था। वहीं, सुभासपा के विधायक जगदीश नारायण राय ने सपा को वोट दिया।
जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की विधायक पत्नी महराजी देवी ने मतदान नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि महराजी ने भाजपा नेताओं से कहा था कि वह भाजपा प्रत्याशी को वोट नहीं देंगी लेकिन वह पार्टी की मदद के लिए मतदान ही नहीं करेंगी। उनके मतदान नहीं करने का फायदा भी भाजपा को ही हुआ।
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