लखनऊ की जहरीली हुई हवा, पहुंचा शहर रेड जोन में

राजधानी लखनऊ में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार को लखनऊ रेड जोन में पहुंच गया। जो सांस व फेफड़े के रोगियों के लिए नुकसानदायक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों मुताबिक लखनऊ का एक्यूआई 328 हो गया है।
राजधानी में प्रदूषण कम नहीं हो रहा। प्रशासन, एलडीए व नगर निगम की तरफ से इसे रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास भी नहीं किया जा रहा है। जिसकी वजह से इस पर नियंत्रण नहीं लग पा रहा है। धीरे-धीरे स्थिति और खराब होती जा रही है।
बुधवार की शाम को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो रिपोर्ट जारी की उसमे लखनऊ को रेड जोन में दिखाया गया है। जबकि मंगलवार तक लखनऊ ऑरेंज जोन में था। इस सीजन में पहली बार लखनऊ रेड जोन में आया है। देश में लखनऊ प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर रहा। सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर पानीपत मिला है। जबकि यूपी का मेरठ दूसरे स्थान पर है। जिसका एक्यूआई 339 है। जबकि पानीपत का 350 है।
सांस की नली में सूजन पैदा कर देते हैं। मरीज को खांसी आने लगती है। धीरे-धीरे मरीज को सांस लेने में तकलीफ शुरू होती है। अस्थमा व सांस की दूसरे मरीजों को प्रदूषित क्षेत्रों में कम से कम निकलें। मास्क, रूमाल, गमछा से नाक और मुंह को ठीक से ढक कर रखें।
केजीएमयू पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक प्रदूषण सांस के लिए रोगियों के लिए घातक है। ठंडक में यह और भी नुकसानदेह हो जाता है। धूंध, मौसम में नमी और कोहरे की वजह से प्रदूषण के कण वातावरण की निचली सतह पर ही रहते हैं। जो आसानी से सांस के माध्यम से फेफड़ों में पैबस्त हो जाते हैं। प्रदूषण के छोटे कण सांस की नली को संक्रमित कर देते हैं।
देश के 7 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की सूची में यूपी के चार शामिल हैं। यूपी का मेरठ 339 एक्यूआई के साथ देश में दूसरे व प्रदेश में पहले नंबर पर है। लखनऊ 328 के साथ देश में तीसरे व यूपी में दूसरे स्थान पर है। 325 एक्यूआई के साथ बागपत चौथे और मुजफ्फरनगर 320 एयर क्वालिटी इंडेक्स के साथ पांचवें नंबर पर है।
-सांस के मरीज कम से कम बाहर निकले
-धूप निकलने के बाद ही टहलें
-भीड़-भाड़ में निकलने से बचें