पहले इलाहाबाद बना प्रयागराज, अब अकबर इलाहाबादी बने अकबर प्रयागराजी

पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हुआ और अब अकबर इलाहाबादी को अकबर प्रयागराजी कहा जाने लगा। महशूर शायर अकबर इलाहाबादी के नाम से हुई यह छेड़छाड़ उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी)की वेबसाइट के ‘एबाउट इलाहाबाद’ वाले कॉलम में दर्ज है। लेखक और कवि इस बदलाव से नाराज हैं और इसकी आलोचना भी करते हैं। वहीं, आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा इस विवाद से बचते हुए कहते हैं कि उन्हें जानकारी नहीं है। दिखवा रहे हैं। अगर कोई गलती हुई तो सुधार किया जाएगा।
आयोग की वेबसाइट पर ‘एबाउट इलाहाबाद’ का एक कॉलम है। इसे क्लिक करने पर इलाहाबाद के संक्षिप्त इतिहास और इसकी उपलब्धियों से संबंधित एक पेज खुलता है, जो अंग्रेजी भाषा में है। इसमें न सिर्फ अकबर इलाहाबादी, बल्कि तेग इलाहाबादी और राशिद इलाहाबादी के नाम के आगे लगे टाइटल से भी छेड़छाड़ हुई है और इलाहाबादी की जगह प्रयागराज लिखा हुआ है। ऐसा सोच-समझकर किया गया या तकनीकी कारणों से हुआ, यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन मशहूर शायरों के नाम से हुई छेड़छाड़ ने नए विवाद को जन्म दे दिया है।
लेखक एवं साहित्यकार प्रो. राजेंद्र कुमार इसे इतिहास के साथ ज्यादती बताते हैं। कहते हैं कि हमारे समाज के बीच से ही मुहावरा निकला कि ‘अगर मैं यह न कर पाऊं तो मेरा नाम बदल देना।’ अकबर इलाहाबादी ने अपने काम को कर दिखाया। किसी के नाम के साथ उसका काम भी जुड़ा होता है। किसी का नाम बदल देना उसकी निजता से खिलवाड़ है। किसी व्यक्ति की निजता भला कैसे छीनी जा सकती है। यह निरंकुशता और मनमानापन है। कवि यश मालवीय ने इसे महान शायर के नाम से खिलवाड़ बताया और कहा कि अकबर इलाहाबादी साझी तहजीब की नुमाइंदगी करते हैं। उनके नाम से हुई छेड़छाड़ की निंदा करते हैं। इसका व्यापक स्तर पर विरोध होना चाहिए।
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