'हमारे लिए कुरान ही संविधान, हम इस सजा को नहीं मानते,' फांसी की सजा पाए गुनहगार बोले

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में फांसी की सजा पाए 38 दोषियों में से 6 भोपाल सेंट्रल जेल में बंद है. जेल सूत्रों ने बताया कि सजा सुनने के बाद गुनहगारों ने कहा कि हम देश के संविधान को नहींं मानते हैं, हम कुरान को मानते हैं. वे इस सजा को भी नहीं मानते हैं
साल 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के जिन 38 गुनहगारों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनमें से 6 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद हैं.
फांसी की सजा की खबर सुनने के बाद से दोषियों के चेहरे मुरझा गए हैं और उन्हें इस खबर ने अंदर तक हिला दिया है. उनकी बॉडी लैंग्वेज बता रही है कि उन्हें फांसी की खबर सुनने के बाद झटका लगा है
जेल सूत्रों के मुताबिक, फांसी की सजा पाने वाले गुनहगारों ने जेल स्टाफ से बात करते हुए कहा है कि उनके लिए कुरान ही संविधान है, इसलिए इस सजा को वो नहीं मानते. हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के सदस्यों ने भारत के संविधान को लेकर ये बातें कही हैं. इससे पहले भी कई मौकों पर वह ऐसा करते रहे हैं, इसलिए जेल में इन्हें बाकी कैदियों से अलग ही रखा जाता है.
भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद जिन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है, उनमें अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी भी शामिल है. सफदर नागौरी के अलावा शिवली, शादुली, आमिल परवेज, कमरुद्दीन नागौरी, हाफिज को फांसी की सजा सुनाई गई है जबकि इन्हीं के साथी अंसाब को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. इसके अलावा, तीन आरोपी काफी पहले जमानत पर बाहर जा चुके हैं.
crossorigin="anonymous">बता दें कि 2008 के अहमदाबाद सीरियल धमाके मामले में शुक्रवार को फैसला आ गया. विशेष अदालत ने 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई, जबकि 11 को उम्र कैद दी गई. सीरियल ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने 49 अभियुक्तों को दोषी माना था. अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को ये सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे और 70 मिनट के अंदर 56 लोगों की मौत हो गई थी. इन बम धमाकों में 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे. अदालत में 13 साल से भी ज्यादा समय तक मामला चला. पिछले सप्ताह 49 लोगों को दोषी ठहराया गया था और 28 अन्य को स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया था.