पेट्रोल-डीजल पर कटने वाली है जेब

यदि देश में अंतरराष्ट्रीय बाजार के आधार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ती हैं, तो भयंकर हालात आने वाले हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 20 से 22 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हो सकती है। अब केंद्र और राज्य सरकार की जनता को राहत दे सकती हैं। पेट्रोलियम पदार्थों के रेट बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ती है। इंडस्ट्री का प्रोडक्शन घटता है। मार्केट में डिमांड कम होती है। अर्थव्यवस्था को धक्का पहुंचता है। सरकार को भी राजस्व की हानि होगी। ऐसे में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को आपसी तालमेल बनाकर जनता को राहत देनी होगी। आज भी देश में कई जगहों पर पेट्रोल 100 रुपये लीटर और डीजल 90 रुपये लीटर बिक रहा है। इस रेट को भी कायम रखना चुनौतीपूर्ण है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 300 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है। रूस ने पश्चिमी देशों को धमकी दी है कि अगर पश्चिमी देशों ने रूस ने एनर्जी सप्लाई में कटौती की तो कच्चे तेल की कीमत 300 डॉलर के पार पहुंच सकती है। साथ ही यूरोप को गैस सप्लाई करने वाली रूस-जर्मनी गैस पाइपलाइन को बंद कर दिया जाएगा। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका और यूरोपीय देश रूस से तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं। इससे बाद कच्चे तेल की कीमत 2008 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। रॉयटर्स के मुताबिक रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर अलेक्सांद्र नोवाक ने कहा कि अगर अमेरिका और सहयोगी देशों ने ऐसा किया तो इसके ग्लोबल मार्केट में भयानक परिणाम होंगे। इससे कच्चे तेल की कीमत 300 बैरल प्रति बैरल पहुंच सकती है।
केंद्र और राज्य सरकारों को जनता पर पड़ने वाले बोझ को कम करना होगा। भारत सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार वैट की दरों में कटौती भी करती हैं, तब भी आने वाले दिनों में कम से कम 6 से 10 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल के रेट में इजाफा होना तय है। जेपी मॉर्गन की समीक्षा के मुताबिक, 2022 में कच्चे तेल की कीमत 185 डॉलर प्रति बैरल पहुंच सकती है। रूस रोजाना करीब 70 लाख बैरल तेल की सप्लाई करता है, जो दुनिया की कुल सप्लाई का 7 फीसदी है। बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों के मुताबिक, अगर रूस से तेल के निर्यात में कटौती होती है, तो कच्चे तेल की कीमत 200 प्रति बैरल तक पहुंच सकती है।
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