कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव में कितनी पारदर्शिता? रातों-रात बदला समीकरण!

कांग्रेस में 22 साल बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लगभग तय हो गया है. चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर दो सबसे बड़े दावेदार बनकर उभरे हैं. कांग्रेस पार्टी ये दावा करती है कि वो लोकतंत्र का सही ढंग से पालन करती है. उनके यहां पार्टी का अध्यक्ष भी चुनाव से ही तय होता है. वहीं, जैसे ही खड़गे का नाम आया तो दिग्विजय सिंह दौड़ से हट गए.
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में तीन उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, लेकिन मुकाबला सिर्फ दो चेहरों के बीच ही नजर आ रहा है. एक हैं मल्लिकार्जुन खड़गे और दूसरे हैं शशि थरूर. एक तरफ तो कांग्रेस के तमाम सीनियर नेता ये दावा करते हैं कि देश में कांग्रेस ही इकलौती पार्टी है जहां लोकतंत्र है, पार्टी का अध्यक्ष भी चुनावी प्रक्रिया से होता है और कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकता है, लेकिन क्या ये दावे सही हैं? जिस तरह से अध्यक्ष के चुनाव में खड़गे की वाइल्ड कार्ड एंट्री हुई है और ज्यादातर कांग्रेसी नेता ये मान बैठे हैं कि खड़गे ही चुनाव जीतेंगे. आखिर इसका मतलब क्या है? ऐसे में शशि थरूर भी हाईकमान से सवाल पूछ रहे हैं कि खड़गे को ऑफिशियल कैंडिडेट क्यों दिखाया जा रहा है.
बता दें कि कांग्रेस के इस चुनाव में गांधी परिवार मैदान में नहीं है, लेकिन सच ये भी है कि गांधी परिवार की चॉइस ही चलेगी. कहने को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज तीन नामांकन हुए हैं. नामांकन के आखिरी दिन गांधी परिवार के भरोसेमंद मल्लिकार्जुन खड़गे ने वाइल्ड कार्ड एंट्री मारी है. सांसद शशि थरूर और झारखंड के कांग्रेस लीडर केएन त्रिपाठी ने भी नामांकन पत्र दाखिल किया है.
बताया जा रहा है कि गुरुवार देर रात तक सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के बीच अध्यक्ष को लेकर एक मीटिंग हुई, उसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को 10 जनपथ बुलाया गया और सुबह तक खड़गे का चुनाव में उतरना तय हो गया. गांधी परिवार के बैकडोर सपोर्ट की वजह से खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है. हालांकि, कांग्रेसियों का दावा यही है कि ऐसा लोकतंत्र और कहीं नहीं है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तीन उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है, लेकिन सीरियस उम्मीदवार दो हैं.
crossorigin="anonymous">पहले दिन ही प्रस्तावकों में पिछड़े थरूर
यह भी बताते चलें कि खड़गे के नॉमिनेशन में 30 कांग्रेस लीडर्स प्रस्तावक बने. जबकि थरूर की ओर से सिर्फ 9 प्रस्तावक बने. खड़गे के प्रस्तावकों में जी-23 के नेता भी शामिल हैं. सरल शब्दों में समझें तो प्रैक्टिस मैच में ही खड़गे ने थरूर को पीछे कर दिया. रही-सही कसर खड़गे के प्रस्तावकों के बड़े चेहरों ने पूरी कर दी.