आखिर लता मंगेश्कर का स्मारक शिवाजी पार्क में क्यों नहीं बन सकता? संजय राउत ने बताया

बीजेपी की मांग पर संजय राऊत का तीखा प्रहार
 
संजय राऊत का बीजेपी पर तीखा प्रहार
लता जी की भरपाई एक स्मारक बस से नही होगी ,संजय राऊत

शिव सेना सांसद संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना के एक कॉलम 'रोखटोक' में स्वर कोकिला लता मंगेशकर का शिवजी पार्क में स्मारक बनाए जाने की बीजेपी की मांग पर हमला बोला है. 

इस लेख में लिखा गया है "लता मंगेशकर अनंत में विलीन हो गईं, लेकिन उनके सुर-उनके गीत, कण-कण में, रोम-रोम रहेंगे. यही उनका असली स्मारक है. लता मंगेशकर के स्मारक को लेकर विवाद खड़ा करने वाले उनकी महानता पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

लता मंगेशकर अनंत में विलीन हो गईं. शिवतीर्थ पर उनके पार्थिव शरीर का दाह संस्कार किया गया जो कि अच्छा ही हुआ लेकिन जहां दाह संस्कार किया गया वहीं लता मंगेशकर का स्मारक बनाया जाए, ऐसी मांग भारतीय जनता पार्टी ने की. पहले बालासाहेब के स्मारक पर और अब लता मंगेशकर के स्मारक पर बहस करना बीमार मानसिकता के लक्षण है. बालासाहेब ठाकरे ने महाराष्ट्र को, मराठियों को और हिंदुओं को जो दिया उसकी भरपाई एक स्मारक से नहीं होगी तो लता मंगेशकर ने सात दशकों तक सुरों के माध्यम से पूरी दुनिया को दर्द भुलाने में मदद की. ये दोनों व्यक्ति जीवित रहते ही दंतकथा बन गए. उनके स्मारक बने या न बने इससे कोई फर्क नहीं पड़ता 

दिल्ली की मोदी सरकार महात्मा गांधी और पंडित नेहरू को ढकने की हरसंभव कोशिश करती रही है, लेकिन इस तरह से ढकने छिपाने से गांधी-नेहरू को कोई भुला पाएगा क्या? लता मंगेशकर के स्मारक को लेकर विवाद खड़ा करने वालों को इतना ध्यान रखना चाहिए कि उनके बयान महाराष्ट्र का सिर शर्म से झुक जाए.

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शिवाजी पार्क में बाला साहेब का अंतिम संस्कार किया गया क्योंकि पार्क से उनका नाता था. इस पार्क से उन्होंने महाराष्ट्र की अस्मिता का शंखनाद किया था. बाला साहेब के अंतिम दर्शन के लिए चालीस लाख लोग आए थे. बालासाहेब के अंतिम संस्कार के लिए शिवतीर्थ ही एकमात्र पर्याय था.

लता मंगेशकर एक अपवाद हैं. प्रकाश अंबेडकर ने कहा, शिवाजी पार्क शिवाजी पार्क ही रहना चाहिए इसे श्मशान भूमि ना बनाया जाए. प्रकाश अंबेडकर ने गलत नहीं कहा. खुद हृदयनाथ मंगेशकर ने कहा है कि लता मंगेशकर का स्मारक शिवाजी पार्क में बनाया जाए, ऐसी हमारी इच्छा नहीं है. इस पर राजनीति बंद करें, ऐसी अत्यंत योग्य और स्पष्ट भूमिका अपनाई, जो कि मंगेशकर परिवार का बड़प्पन है.

इसके आगे लेख में लता मंगेशकर को याद करते हुए लिखा गया है कि कैसे देश के अलग-अलग हिस्सों में उन्हें याद किया जा रहा है. लेख में कहा गया है कि "लता मंगेशकर हिंदुत्व की संपर्क थीं. वीर सावरकर की भक्त थीं. महाराष्ट्र के प्रति जबरदस्त अभिमान रखती थीं. उन्हें मराठी होने पर गर्व था. उनका स्मारक गर्व महसूस हो ऐसा होना चाहिए. 

इसके आगे लेख में बताया गया कि लता मंगेशकर के नाम पर महाराष्ट्र सरकार ने एक स्मारक और एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की संगीत अकादमी स्थापित करने की घोषणा की है. साथ ही लिखा गया है की "मुंबई के समुद्र तट पर सी-लिंक के पास की एक चट्टान पर 'वॉइस ऑफ इंडिया' लता मंगेश्कर का गाते हुए भाव में एक भव्य प्रतिमा स्थापित करें. वहां उनके गीत हमेशा सुनने को मिले