23000 करोड़ का घोटाला, भाजपा सरकार में देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला आया सामने।

 
बैंक घोटाला

किस बैंक ने दिया कितना पैसा

एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के खिलाफ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत के अनुसार कुल 28 बैंकों ने एबीजी शिपयार्ड कंपनी को 22842 करोड़ रुपए का लोन दिया था। जिसमे सबसे अधिक राशि आईसीआईसीआई बैंक ने दिया था।
7089 करोड़- ICIC
3639 करोड़- IDBI
2925 करोड़- SBI
1614 करोड़- BOB
1244 करोड़- PNB

देश का अबतक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला सामने आया, जिसने देश के सियासी पारे को बढ़ा दिया है। विपक्ष इस घोटाले को लेकर मोदी सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा रहा है। एबीजी शिपयार्ड जहाज बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के खिलाफ, इसके पूर्व चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि कमलेश अग्रवाल और अन्य के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है। सीबीआई ने कंपनी के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर सथनाम मुथस्वामी, डायरेक्टर अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल, रवि विमल नेवेतिया और अन्य के खिलाफ भी आपराधिक षड़यंत्र, धोखाधड़ी, विश्वासघात का केस दर्ज किया है। सीबीआई ने इस बाबत बयान जारी करके कहा कि शनिवार को प्राइवेट कंपनी से जुड़े आरोपियों के अलग-अलग 13 ठिकानों पर सूरत, भरूच, मुंबई, पुणे आदि में छापेमारी की जा रही है, हमने इस दौरान अहम दस्तावेज जब्त किए हैं।

फॉरेंसिक ऑडिट में हुआ खुलासा

फॉरेंसिक ऑडिट के अनुसार एबीजी ने बैंकों से तकरीबन 22842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। इसमे कई बैंक शामिल हैं जिनसे कंपनी ने लोन लिया और अब इस लोन को कंपनी चुका नहीं रही है। यही वजह है कि बैंको ने इस राशि को एनपीए घोषित करते हुए इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में एसबीआई ने 8 नवंबर 2019 को पहली बार केस दर्ज कराया था, जिसके बाद कंपनी से 12 मार्च 2020 को जवाब मांगा गया था। इसके 18 महीने बाद सीबीआई ने 7 फरवरी 2022 को इस मामले नए सिरे से केस दर्ज किया है।

किस बैंक से लिया कितना पैसा

जब भी किसी कंपनी को बड़ा लोन दिया जाता है तो कंसोर्टियम ऑफ बैंक यानि बैंकों के समूह द्वारा यह लोन दिया जाता है। कोई एक बैंक कंपनी को लोन नहीं देता है, बल्कि अलग-अलग बैंक एक समूह बनाते हैं और कंपनी को लोन मुहैया कराते हैं। इस पूरे कंसोर्टियम का नेतृत्व कोई एक बैंक करता है। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड कंपनी को लोन देने के लिए जो कंसोर्टियम बनाया गया था उसका नेतृत्व आईसीआईसीआई बैंक कर रहा था। हालांकि बड़ी कंपनियों को लोन देते समय यह जोखिम हमेशा रहता है कि अगर कंपनी डूब जाती है तो पैसा भी डूब सकता है। लेकिन कंपी डूबने पर इसे फर्जीवाड़ा नहीं माना जाता है। लेकिन जब बैंक से कंपनी के विस्तार और इसके काम के लिए लोन लिया जाता है लेकिन इस राशि का इस्तेमाल कंपनी के लिए ना होकर व्यक्तिगत काम के लिए होता है तो यह फर्जीवाड़ा कहलाता है। कुछ ऐसा ही मामला किंगफिशर कंपनी के मालिक विजय माल्या ने किया था। ऐसी स्थिति में लोन की राशि का व्यक्तिगत इस्तेमाल घोटाला कहलाता है। अभी तक का देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला ह

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दूसरे देश में लगाया पैसा

सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषि कमलेश अग्रवाल, एग्जेक्युटिव डायरेक्टर संथनम मुथस्वामी, तीन डायरेक्ट अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल, रवि विमल निवेतिया के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। इन लोगों पर आरोप है कि बैंक से लिए गए लोन का गलत इस्तेमाल किया है। बता दें कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड एबीजी कंपनी की सब्सिडरी कंपनी है। एबीजी कई तरह के व्यवसाय करती है। पिछले 16 साल में कंपनी ने 165 से ज्यादा जहाज बनाए हैं। जिसमे से 46 जहाज को निर्यात दूसरे देश को किया है।

कैसे सामने आया घोटाला

किसी भी कंपनी की हर साल साधारण ऑडिटिंग चलती है जिसमे सामान्य तौर पर बड़े घोटाले पकड़े नहीं जाते हैं। लेकिन इस मामले में कई बैंकों ने काफी पैसा दिया है, लिहाजा ये लोग फॉरेंसिक जांच की मांग कर सकते हैं। कंपनी में सबकुछ ठीक चल रहे हैं या नहीं इसकी जांच के लिए ये बैंक मांग कर सकते हैं। इएनवाई यानि अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा कंपनी की ऑडिटिंग की गई। अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 के बीच इन बैंको द्वारा दी गई राशि का अकाउंट की फॉरेंसिक जांच की गई। जांच में बताया गया कि लोन की राशि का इस्तेमाल कंपनी के लिए ना होकर व्यक्तिगत कामों के लिए हो रहा। बैंकों द्वारा जो शिकायत दर्ज कराई गई है उसके अनुसार 2016 में ही कंपनी ने जो लोन लिया था वह एनपीए बन गया था। लेकिन जून 2019 में इसे फर्जीवाड़ा करार दिया गया।