शहर बरेली के"गौशाला में गौ संगठन के पदाधिकारियों का दौरा

 
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गौशाला कार्यपालक श्रीमान रवि जी गौशाला में उपस्थित नहीं थे, कतिपय कारण सुबह से बरेली नगर निगम गए हुए बताये गए। लगभग 60% से अधिक गौवंश की जियो टैगिंग नहीं की गई है, संख्या अनुसार1100 से अधिक गौवंश गौशाला में बताये जाते हैं जिसकी पुष्टि रिकॉर्ड के आभाव में संभव नहीं हो सकी। 
गौशाला में सफाई की कोई व्यवस्था नहीं थी, गोबर को एकत्र करने के स्थान पर रास्तों के किनारे दूर दूर तक सर्वत्र फैलाया हुआ था और कच्चे स्थान तक में गायों आदि के खड़े होने और बैठने लायक कोई स्थान नहीं था, जबकि बताया जाता है कि प्रतिदिन एक बार झाड़ू लगती है। गौशाला में गोबर आदि के निस्तारण की कोई भी व्यवस्था नहीं दिखाई दी।
गायों के भोजन इत्यादि के लिए   प्लास्टिक के नांद कुछ स्थानों पर ही संकेंद्रित थे। कुछ गौवंश बहुत दुर्बल थे, ज्ञात हुआ कि बलिष्ठ प्राणी उनको भोजन तक पहुँचने ही नहीं देते हैं और इस कारण से वे भूखे रह जाते हैं।
संध्याकालीन गौ ग्रास में इस गौशाला में केवल सूखा भूसा देना पाया गया, बताते हैं कि कभी कभी हरा चारा या खल की सानी भी दी जाती है। 
कैमरा या वीडियोग्रफी जैसी कोई व्यवस्था गौशाला में दिखी नहीं, अपितु गौशाला के गेट पर मुस्तैद गार्ड द्वारा 'पार्दर्शिता' के निहितार्थ आगंतुकों के फोन इत्यादि गेट पर ही जमा करवा लिए जाते हैं! 
कुछ बछड़े निर्जीव से इधर उधर  गोबर कीचड़ आदि में पड़े दिखाई दिये।अतः किसी योग्य चिकित्सक की भी सुबह शाम दौरे की प्रशंसनीय व्यवस्था इस गौशाला में होना कम ही प्रतीत हुआ! 

कम शब्दों में उक्त दौरे का सार है- "घोर उदासीनता, निरंकुशता, गौवंश का व्यवस्थित सरकारी शोषण और जबाबदेही का अभाव"।

साफ सफाई, गोबर निस्तारण की प्रभावी व्यवस्था, यथासंभव वीडियोग्राफी की व्यवस्था, अधिक भोजन पात्र की विकेंद्रित व्यवस्था, योग्य पशु चिकित्सक की कम से कम सुबह शाम की प्रभावी उपस्थिति और गौ ग्रास में सूखा भूसा के साथ ही उपयुक्त हरा चारा, खल आदि की व्यवस्था होने पर ही गौशाला की शोषक स्थितियों में कोई भी सुधार संभव हो पाएगा। 
 मुख्य पदाधिकारी विशाल दीक्षित की अध्यक्षता में निरीक्षण किया गया

बरेली से एलबी कुर्मी की रिपोर्ट

   एलबी कुर्मी
 पी आर न्यूज इंडिया
   ब्यूरो चीफ बरेली