वाराणसी के नमो घाट जाने के लिए लेना होगा 10 रुपए का टिकट, 4 घंटे तक मान्य

 
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वाराणसी के जिला प्रशासन और स्मार्ट सिटी के एक फैसले पर बनारस में जबरदस्त चर्चा है। स्मार्ट सिटी ने नवनिर्मित नमो घाट पर घूमने के लिए टिकट लगाने का फैसला क्या है? मंगलवार से इसकी शुरुआत भी हो गई है। चार घंटे के लिए अब पर्यटकों को नमो घाट पर समय बिताने के लिए दस रुपये खर्च करने पड़ेंगे। स्मार्ट सिटी के इस फैसले पर आम लोगों ने एक ओर जंहा सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल रखा है तो दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दलों सपा और कांग्रेस के नेताओं ने भी इस पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

बनारस में घाट पर आज तक कभी किसी तरह का शुल्क नगर निगम या जिला प्रशासन की तरफ से नहीं लगाया गया है। टिकट लगाने के फैसले पर जब स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से बात की गई तो उनके तर्क भी बड़े अजीबोगरीब थे। स्मार्ट सिटी के पीआरओ शाकंभरी ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि शहर के बिल्कुल किनारे पर स्थित नमो घाट पर आने वाली भीड़ में बहुत से असामाजिक तत्व भी आते हैं, जो वहां पर उपद्रव करते हैं और शराब की बोतले तोड़ते हैं। इसके साथ ही कई युवा जोड़े भी अभद्र व्यवहार करते हैं। अनुशासन के लिए भी यह एक जरूरी कदम है। वहीं, उन्होंने तर्क दिया कि इस घाट पर किसी तरीके का कोई धार्मिक आयोजन नहीं होता है और यह वाराणसी के अन्य घाटों से बिल्कुल अलग-थलग है। जहां पर सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेंटीनेंस की आवश्यकता है, इसलिए 4 घंटों के लिए महज 10 रुपये का शुल्क लगाया गया है। यह फैसला मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल और नगर आयुक्त के निर्देश पर लगाया गया है

स्मार्ट सिटी के इस फैसले पर राजनीतिक विरोध भी अब शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी के पूर्व राज्य मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने कहा कि बीजेपी उन तमाम विभूतियों के विचार और नामों को खत्म कर रही है, जो कभी इस समाजवादी विरोधी विचारधारा के खिलाफ रहे हैं। रुद्राक्ष भवन पहले लोकमान्य तिलक के नाम पर हुआ करता था, जिसे खत्म कर दिया गया। बेनिया पार्क जननायक राज नारायण के नाम पर था, एक लंबे संघर्ष के बाद राज नारायण के नाम को पुनर्स्थापित किया गया। वही हाल इस नमो घाट का है, जो डॉक्टर लोहिया के नाम पर रखा गया था और वहां पर गोवर्धन धाम भी है, जिसे खत्म करके अब लोगों से पैसा वसूल किया जाएगा। यह उस प्रधानमंत्री के क्षेत्र में हो रहा है, जिन्होंने खुद को मां गंगा का बेटा बताया था। समाजवादी पार्टी इस फैसले का विरोध करेगी और अगर यह फैसला वापस नहीं लिया जाता है तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन भी किया जाएगा

वहीं, कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय राय ने इस फैसले को तानाशाही वाला बताया है। एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में उन्होंने खासतौर पर कहा कि यह बीजेपी की रणनीति रहती है कि पहले चीजों को मुफ्त में दो और उसके बाद उस पर शुल्क लगा दो। प्रधानमंत्री खुद को मां गंगा का बेटा बताते हैं और अब उन्हीं के संसदीय क्षेत्र में गंगा दर्शन के लिए शुल्क देना पड़ेगा। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता इस फैसले के विरोध में बिना टिकट लिए आज घाट पर जाएंगे। साथ ही अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो बड़ा आंदोलन भी किया जाएगा। तंज कसते हुए अजय राय ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब बनारस में हर हर महादेव कहने पर भी शुल्क लग जाए।