जिला आजमगढ़ थाना गंभीरपुर ब्लॉक मोहम्मदपुर में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का विरोध

आजमगढ़ 02 नवम्बर। प्रशासन द्वारा नये सर्वे के अनुसार कुल 08 ग्रामों के लगभग 4000 घरों को तोड़कर मन्दुरी हवाई पट्टी का विस्तार करके अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाये जाने के विरोध में ग्रामसभा गदनपुर हिच्छनपट्टी जमुआ हरिराम, जमुआ जोलहा, जिगिना, मन्दुरी, जेहरा पिपरी, हसनपुर व कादीपुर, तहसील सगड़ी, जनपद आजमगढ़ के ग्रामवासियों ने आशियाना बचाओ ग्रामवासी मोर्चा बनाकर कलेक्ट्रेट स्थित रिक्शा स्टैण्ड पर जनसभा करके धरना दिया।
जनसभा के बाद ग्रामीणों ने जिलाधिकारी एवं कमिश्नर से मिलकर मुख्यमंत्री, महामहिम राज्यपाल, उड्डयन मंत्रालय एवं महामहिम राष्ट्रपति सहित प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा। ग्रामवासियों का आरोप है कि प्रशासन द्वारा पुलिस एवं पीएसी बल के साथ उक्त सभी गाँवों में हवाई अड्डे का विस्तार किये जाने हेतु तानाशाही रूख अपनाते हुये रात में 11 बजे ग्रामीणों को घर में बन्द करके बिना सहमति के जबरन आंशिक सर्वे कराया गया। ग्रामीणों ने काफी विरोध किया तो पुलिस बल द्वारा उन्हें पीटा गया और कुछ लोगों को जेल भेज दिया गया। ग्रामीणों के काफी विरोध के कारण प्रशासन जब घरों का सर्वे मौके पर नहीं करा पाया, तो इन ग्रामों के प्रधानों, कोटेदारों एवं आँगनबाड़ियों को थाने में बैठाकर जबरन कागजी सर्वे पूर्ण करके शासन को भेज दिया। प्रशासन द्वारा अब गाँवों में पुलिस व पीएसी परेड कराकर ग्रामीणों को डरा-धमका कर घर छोड़ने के लिये दबाव बनाया जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि हवाई पट्टी के अगल-बगल काफी परती व खाली अनुपजाऊ जमीनें पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं, फिर भी प्रशासन उन खाली जमीनों में हवाई अड्डे का विस्तार नहीं करा रहा है। यदि प्रशासन चाहे तो आजमगढ़-फैजाबाद हाइवे को कन्धरापुर से मन्दुरी तक टर्मिनल बनाकर जमीन के नीचे से रोड निकाल सकती है और हाइवे के दोनों तरफ खाली जमीनों को हवाई अड्डे में सम्मिलित कर निर्माण करा सकती है, किन्तु प्रशासन अपनी मनमानी पर उतर आया है। प्रशासन के मनमानेपन से कुल 08 ग्रामों की घनी आबादी, जिसमें लगभग 4000 घर मौजूद हैं, पूरी तरह बर्बाद हो जायेंगे और हजारों लोग बेघर होकर बंजारों जैसा जीवन व्यतीत करने के लिये मजबूर होंगे।
वक्ताओं ने कहा कि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी भी योजना के लिये घनी आबादी क्षेत्र को प्रभावित न किया जाय, क्यों कि लोगों को आबादी क्षेत्र का अधिक मुआवजा देना पड़ेगा और साथ ही उनके पुनर्वासन एवं पुनर्व्यस्थापन करने पर भी सरकारी खजाने पर अतिरिक्त व्यय भार पड़ेगा। इसके बाद भी प्रशासन अपनी मनमानी कर रहा है और खाली परती पड़ी अनुपजाऊ जमीनें होते हुये भी उन्हें छोड़कर 08 गाँवों की घनी आबादी उजाड़ने की योजना बना लिया है तथा ग्रामीणों के साथ-साथ सरकारी खजाने को भी चूना लगाने पर आमादा है। ग्रामीणों ने जनसभा करके एवं ज्ञापन के माध्यम से अपने मकान बचाने एवं खाली परती अनुपजाऊ जमीनों पर हवाई अड्डे का विस्तार करने की मांग किया। वक्ताओं ने कहा कि हजारों परिवारों के घर तोड़कर सरकार कौन सा विकास करना चाह रही है और इन्हें कहाँ बसायेगी। प्रशासन की मनमानी से सरकारी खजाने को तो नुकसान पहुँचेगा ही, साथ ही ग्रामीणों के विरोध के कारण हवाई अड्डे के विस्तार की योजना अधर में लटक जायेगी। ग्रामीण इस बात पर अड़े हुये हैं कि यदि प्रशासन मनमानी करके जबरन उनके 4000 मकान गिरायेगा तो वह आत्मदाह करने को मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।
ब्यूरो चीफ अनूप यादव की रिपोर्ट