खम्बे से प्रकटे नरसिंघ भगवान ने किया हिरणाकश्यप का वध

कटरा स्टेशन ऊँचेहरा में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कथा के तीसरे दिन राष्ट्रीय प्रवक्ता परम पूज्य आचार्य श्री श्री 108 श्री मृदुल बिहारी जी महाराज ने भक्त प्रह्लाद की पुकार और नरसिंह अवतार के आगमन का प्रसंग सुनाकर भक्तों को भाव विभोर कर दिया। कथा का शुभारंभ कथा श्रोता भूपेंद्र सिंह घर्मपत्नी मांडवी सिंह परिहार, नागेंद्र सिंह उपेन्द्र सिंह,अनुराग सिंह गुड्डा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
कथा व्यास ने बताया कि भक्त प्रह्लाद जब अपनी मां कयादु के गर्भ में थे तभी उन्हें गुरु नारद द्वारा ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। गुरु की प्रेरणा से ही उनके भीतर भगवान हरि के प्रति अनन्य प्रेम जागृत हुआ। शास्त्रों के अनुसार जब नरसिंह भगवान हिरण्यकश्यप का वध कर भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठाकर प्रेम पूर्वक पूछा मांगो तुम्हें क्या वर चाहिए तब प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप सहित अन्य सभी पापी आत्माओं का कल्याण मांगा और उनके बदले स्वयं के लिए नरक मांग लिया। तब प्रभु ने कहा कि प्रह्लाद नरक में हमारा वास नहीं है, वहां तुम मेरे दर्शन कैसे करोगे वहीँ कथा व्यास ने कहां की
उचेहरा धर में तुलसी का पौधा हो सुबह-शाम देवताओं की आरती पूजन हो, संखध्वानि बजे तो उस घर मे बाहरी बाधाये दूरी रहती है।
और घर में सुख-शांति रहतीं हैं।उक्त कथा में रामसिंह , मृगेंद्र सिंह लल्लू कक्का , अनुराग सिंह गुड्डा, रामाकांत गुप्ता, कमलेस्वर सिंह, स्वर्ण सिंह,
सुदीप तपसी सहित काफ़ी संख्या में महिलाएं युवा लोग सामिल रहे।