चार साल से नहीं किया काम, खाते में जाती रही मजदूरी

 
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कानपुर में मनरेगा के अफसरों का मनमाना खेल चल रहा है। अपने फायदे के लिए योजना के तहत लोगों के फर्जी जॉब कार्ड बनाए जा रहे हैं। इसके बाद इन फर्जी नामों को काम पर दिखाकर उनके नाम से पैसा उठाया जा रहा। विभाग ने जब जॉब कार्ड को आधार से लिंक कराना शुरू किया।


इसके बाद मजदूरों की फोटो अपलोड करानी शुरू की, तो 37 हजार कार्ड फर्जी मिले। इन्हें रद्द किया गया है, जो कार्ड रद्द किए गए हैं। उनमें कई फर्जी हैं तो कई ऐसे हैं, जो एक ही नाम से दो बार बने हैं। कुछ ऐसे मजदूरों के भी कार्ड निरस्त किए गए हैं, जो लंबे समय से जिले से बाहर हैं।
चार साल में एक दिन भी काम नहीं किया। इसके बाद भी इनके खातों में पैसे भेजे जा रहे थे। सबसे ज्यादा घाटमपुर ब्लॉक में छह हजार और बिल्हौर ब्लॉक के पांच हजार से ज्यादा कार्ड फर्जी निकले हैं। बताया जा रहा है कि अलग-अलग योजनाओं के नाम पर गड़बड़ियां सामने आई हैं।

सांठगांठ से अपनी जेब भरी
इनमें समाजवादी पेंशन, लोहिया आवास योजना, शादी अनुदान योजना के साथ ही अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जॉब कार्ड के नाम पर घोटाला सामने आ रहा है। ग्राम प्रधान, सचिव और मनरेगा कार्यालय में बैठे एपीओ की सांठगांठ से मनरेगा की मजदूरी से अपनी जेब भरी जा रही है।

47743 कार्ड ही एक्टिव और सही
जिले में कुल एक लाख 22 हजार मनरेगा जॉब कार्ड बने हैं। इसमें से विभाग ने 84.88 हजार कार्ड का सत्यापन और इन्हें आधार से लिंक कराया। इनमें से 47743 कार्ड ही एक्टिव और सही मिले। शेष 37140 कार्ड फर्जी और डुब्लीकेट मिले।

वर्ष 2008-09 में सबसे ज्यादा बने जॉब कार्ड
मनरेगा उपायुक्त रमेश चंद्र ने बताया कि जिले में वर्ष 2008 में योजना शुरू की गई थी। सबसे ज्यादा 60 हजार से अधिक कार्ड वर्ष 2008-2009 में बने थे। सूत्रों के अनुसार प्रधानों ने गरीबों के साथ अपने खास लोगों के भी जॉब कार्ड बनवा दिए और उनको लाभ देने का काम किया। इसमें प्रधान, सचिव का भी हिस्सा होता था।

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ऐसे भरते हैं अपनी जेब
जिनके नाम फर्जी जॉब कार्ड बनवाए जाते हैं, उनसे सांठगांठ कर किसी निर्माण कार्य में उनकी कागजों में ड्यूटी लगा दी जाती है। इसके बाद बगैर ड्यूटी के उनके खातों में पैसा डलवा दिया जाता है। फिर उनसे यह पैसा ले लिया जाता है। इसके बदले खाताधारक को भी कुछ पैसा दिया जाता है।

कैसे बनता है जॉब कार्ड
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को लिखित रूप से आवेदन करना होता है। इसमें परिवार के व्यस्क सदस्य का नामांकन किया जाता है। आवेदन ग्राम पंचायत के माध्यम से प्रस्तुत करना पड़ता है। एक व्यक्ति को एक वर्ष में सौ दिन का रोजगार देने की प्राथमिकता होती है। प्रतिदिन 213 रुपये का भुगतान होता है।

अब आधार से लिंक जॉब कार्ड को ही होगा भुगतान
शासन ने बड़े पैमाने पर फर्जी जॉब कार्ड मिलने के बाद नए आदेश जारी किए हैं। अब मजदूरों को अपने जॉब कार्ड को आधार से लिंक कराना होगा। साथ ही फोटो भी पोर्टल पर अपलोड करानी होगी। इसके बाद ही मनरेगा मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। जो कार्ड सक्रिय हैं, केवल उन्हें ही मजदूरी देने के निर्देश दिए गए हैं।

सत्यापन में ज्यादातर मृतक और डुप्लीकेट वाले कार्ड मिल हैं। ये निरस्त कर दिए गए हैं। अब जो मजदूर आधार लिंक और फोटो अपलोड कराएगा, उसे ही मनरेगा मजदूरी दी जाएगी।  -रमेश चंद्र, उपायुक्त, मनरेगा