घोटालों की जांच में घोटाला, केस्को में जांच, अफसर निभाते हैं दोषियों से दोस्ती।

केस्को के बिजली मीटरों के कबाड़ी की दुकान में मिलने की जांच में लीपापोती के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। वैसे भी केस्को में अभी तक जितने भी घोटाले हुए, सबकी जांच में भी कुछ निष्कर्ष नहीं निकला है। आइए जानते हैं, उन घोटालों और गड़बड़ियों के बारे में जिनकी जांच तो हुई पर नतीजा नहीं निकला।
हालांकि अब तक केस्को के इंजीनियरों ने विभिन्न मामलों में जितनी भी जांचें की हैं, वह खानापूर्ति ही साबित हुई हैं। दरअसल, केस्को में जितने भी घपले घोटाले होते हैं, उनकी जांच के लिए प्रबंधन एक जांच कमेटी बना देता है। जांच कमेटियों में केस्को के इंजीनियर ही होते हैं या फिर एकाउंट के अधिकारी शामिल होते हैं। एकाउंट के अधिकारी लंबे समय से यहां टिके हैं। रिटायरमेंट के बाद भी सेवा विस्तार का मजा ले रहे हैं।
केस्को में जिन इंजीनियरों की तैनाती होती है उनमें अधिकतर इंजीनियरों के केस्को से तबादले तभी होते हैं, जब वह प्रमोशन पाते हैं। लेकिन यहां 10-10 सालों से इंजीनियर नौकरी कर रहे हैं। योगी सरकार में कर्मचारियों तक के ट्रांसफर तीन सालों में करने के निर्देश थे लेकिन ये फार्मूला केस्को पर लागू नहीं किया गया। इस कारण जिनको भी जांच मिलती है वह व्यवहार निभा जाते हैं। आइए, जानते हैं केस्को के कुछ मामले जिनकी जांच तो हुई,पर नतीजा नहीं निकला।
बेच दिए कबाड़ में पड़े बिजली उपकरण
तीन साल पहले चमनगंज सबस्टेशन में कबाड़ में पड़े बिजली उपकरणों में करीब 13 लाख रुपये में बेचकर दिवाली मनाई गई थी। इसमें संविदा कर्मचारियों के साथ-साथ तत्कालीन केस्को एसडीओ अमित गुप्ता का नाम भी आया था। इसकी जांच तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शैलेंद्र कुमार को दी गई। लंबे समय तक जांच लटकाए रहने के बाद उन्होंने कहा कि यह जांच हम नहीं कर पा रहे हैं। लिहाजा इसकी जांच विजिलेंस से कराई जाए और जांच विजिलेंस को दे दी गई।
ठंडे बस्ते में गई कटिया पकड़ने की जांच
एक साल पहले जरीब चौकी डिवीजन में भ्रष्टाचार की शिकायत पर विधान परिषद की जांच समिति के अध्यक्ष अरुण पाठक ने छापा मारा था। उन्होंने यहां संलिप्त इंजीनियरों पर कार्रवाई कराने को कहा। हालांकि यहां पर एक्सईएन को प्रबंधन ने इनाम देकर विकास नगर जैसे मलाईदार डिवीजन का एक्सईएन बना दिया। बाकी 100 किलोवाट की दो सालों से अपार्टमेंट में चल रही कटिया पकड़ने की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
मीटर बदलने वाले गिरोह का पर्दाफाश
सर्वोदय नगर, जाजमऊ डिवीजन में यूनिट स्टोर करने वाले मीटरों को हटाने और फर्जी एम फार्म की मदद से मीटर बदलने वाले गिरोह का पर्दाफाश होने की घटना की जांच अधीक्षण अभियंता आरिफ अहमद को मिली थी। जाजमऊ के एक्सईएन भी जांच समिति में थे। इसके पहले जरीब चौकी डिवीजन के एक्सईएन तो जांच कमेटी में शामिल होने से ही मना कर दिया था। इस मामले में संविदा कर्मचारियों पर गाज गिरा दी गई लेकिन मिलीभगत में शामिल वितरण और परीक्षण खंड के किसी इंजीनियर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वहीं, जवाहर नगर सबस्टेशन में संविदा श्रमिक के भ्रष्टाचार के मामले में अधीक्षण अभियंता प्रथम को पत्र लिखकर लंबे समय से तैनात सर्किल और डिवीजन के इंजीनियरों और कर्मचारियों को ट्रांसफर करने का आदेश था। मामले में अभी जांच ही नहीं शुरू हुई है। यह सिर्फ नजीर है। ऐसे तमाम मामले हैं, जिसमें इंजीनियर एक दूसरे से संबंध निभाने पर विश्वास करते हैं, न कि निष्पक्ष जांच करने में।