लॉकर चोरी खुलाशा : शातिर को पता था किस लॉकर में हैं जेवर, कौन सा है खाली, सिर्फ सोने के जेवर उड़ाए, छोड़ गए चांदी

 
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कानपुर में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराची खाना शाखा में बुधवार को दो और ग्राहकों के लॉकर से जेवर गायब मिलने से हड़कंप मच गया। एक ग्राहक का लॉकर टूटा था, इसमें रखे करीब 50 लाख के सोने और हीरे के जेवरात गायब थे। जबकि दूसरे ग्राहक के लॉकर से सोने का ढाई लाख का हार गायब मिला।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराची खाना शाखा में लॉकरों में हो रही चोरी के पीछे किसी शातिर और लॉकरों के बेहद जानकार व्यक्ति का हाथ होने के तथ्य सामने आ रहे हैं। शातिर ने बेहद आराम से लॉकरों में सेंधमारी की। उसने वही लॉकर चुने जो सालों से खुले नहीं थे, जेवर होने की जानकारी थी

लॉकरों में रखा पर्स, बैग आदि गायब नहीं हुआ है, यहां तक चांदी के जेवरात भी नहीं निकाले गए। केवल सोने, हीरे के जेवरात और कैश निकाला गया। इसके बाद उन्हें इस तरह से बंद किया गया कि किसी को शक न हो। जिन ग्राहकों की चाभी फंसी उन्हीं में से सामान निकाला गया है। लॉकरों के पेच और रिपिट में छेड़छाड़ की गई है।

अब तक सामने आए आठ मामलों में लॉकरों की चाभी लगाने पर लॉकर ऑपरेट नहीं हुए और जिन्हें बाद में लॉकर कंपनी के कर्मचारी की मदद से तुड़वाना पड़ा। ऐसे में पूरी संभावना है कि बैंक का कोई कर्मचारी, अफसर या लॉकर कंपनी का कर्मचारी घटना में मिला हुआ है। जनरलगंज निवासी पंकज गुप्ता के लॉकर से केवल सोने के जेवर और कैश गायब था, जबकि पर्स में 40 चांदी के सिक्के पड़े थे। इसी तरह सुशीला देवी के मामले में केवल चांदी का सामान बचा मिला। 

दिसंबर में ही लगा दी गई थी सेंध
पुलिस सूत्रों के अनुसार दिसंबर 2021 में बैंक के उच्च प्रबंधन से अनुमति लेकर 50 के करीब बैंक लॉकर कंपनी के कर्मचारियों से तुड़वाए गए थे। बताया गया कि ये लॉकर सालों से ऑपरेट नहीं किए जा रहे थे जिनका किराया भी बैंक को नहीं मिल रहा था। दावा था कि सारे लॉकर खाली थे। पुलिस को आशंका है कि इसी दौरान लॉकरों में सेंध लगाई गई होगी। क्योंकि बैंककर्मी और ग्राहकों के अलावा सिर्फ लॉकर कंपनी के कर्मचारी लॉकर तक पहुंच सकते हैं। कंपनी के कर्मचारियों को लॉकरों की सारी बारीकियां पता होती हैं।

24 दिन बीते लेकिन जांच के नाम पर खानापूरी 

इस पूरे मामले का खुलासा मंजू भट्टाचार्य की एफआईआर के बाद हुआ था। इसके बाद जहां बैंक प्रबंधन ने पूरी घटना को संदिग्ध मानकर पल्ला झाड़ लिया वहीं पुलिस बयान दर्ज करने तक सीमित है। बैंकिंग के जानकारों का कहना है कि दिसंबर में लॉकर तोड़ने वाले ठेकेदार और उसके कर्मचारी और बैंक अफसरों से कड़ाई से पूछताछ हो तो मामला खुल सकता है।