और धैर्य की तो परिभाषा ही महिला से है :एक्ट्रेस श्रुति दत्त

 
Vi bhi jo ko

इस महिलादिवस पर मैं सबसे पहले उन सभी महिलाओं का धन्यवाद करना चाहूंगी जिन्होंने हर संघर्ष का सामना करते हुए शिखर तक का रास्ता तय किया और एक मजबूत किरदार को दर्शाते हुए समाज के लिए प्रेरणास्रोत्र बनी। साथ ही उन महिलाओं की भी सराहना है जो हर दिन अपने व्यक्तित्व को मज़बूत करने के लिए लड़ती हैं- कभी समाज की बन्दिशों से तो कभी खुद अपने ही भीतर चल रहे सही गलत के संघर्ष से। उन पुरुषों को भी मेरा प्रशंसा पत्र जो महिलाओं को उनकी योग्यता और लगन के आधार पर उन्हे आगे बढ़ने में सहयोग देते है।
एक महिला का किरदार निभाना आसान नही है और यह किरदार कितना सम्पूर्ण और श्रेष्ठता भरा सम्मान है। ये हम कभी कभी भूल जाते है, जब हमारा मुख्य केंद्र महिला होने की चुनौतियों पर अधिक होता है। 
हालाँकि ये सच है समाज की कई बंदिशें होती है महिलाओं पर, और बेहद अफ़सोस होता है, देखकर जब उनकी क्षमताएं व्यर्थ जाती दिखाई पड़ती है। लेकिन जब एक महिला सभी चुनौतियों का सामना करके, सारी बंदिशें तोड़कर, हर रूढ़िवादी विचरधारा को लांघकर कुछ मुकाम हासिल कर लेती है और दुनिया में अपनी जगह बनाती है। मुझे नहीं लगता उससे बड़े गौरव की बात कोई होती है।

किसी इंसान के किरदार की पहचान बुरे समय में उसके धैर्य से होती है। जिसे ढाल बनाकर वह सब चुनौतियों का सामना करता है, और धैर्य की तो परिभाषा ही महिला से है।
मुझे गर्व है अपने महिला होने पर। और सभी को यह संदेश है के यदि आप एक जागरूक नागरिक है, और अपने आस पास किसी महिला को परिस्थितियों से जूझता हुआ देखें तो हमदर्दी दिखाने के बजाय उन्हें प्रोत्साहन दें, उनका होंसला बढ़ाएँ, उनकी हिम्मत बने। महिलाओं से भी यह अनुरोध है की महिलाओँ के जीवन को खुद भलीभांति समझते हुए 
दूसरी महिलाओँ की सराहना करें, उनकी ताकत बनें।