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पहली बारिश में ही टपकने लगी अयोध्‍या राम मंदिर की छत,सोशल मीडिया पर मचा बवाल

अयोध्‍या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा हुए फिलहाल कुछ ही महीने बीते होंगे और मंदिर की छत पहली ही बारिश में टपकने लगी है। अब यह समस्‍या इसलिए भी गंभीर मानी जा रही है क्‍योंकि छत टपकने की बात मंदिर के किसी और दुसरे हिस्‍से की नहीं बल्कि गर्भ गृह की ही है, जहां रामलला की भव्य मूर्ति विराजमान है।

इस गंभीर मामले को खुद राम मंदिर के मुख्‍य पुजारी सत्‍येंद्र मिश्र ने सामने लाया है। उन्‍होंने बीते सोमवार को कहा कि, ‘गर्भगृह में, जहां रामलला विराजमान हैं, वहां भी पानी भर चुका है। ऐसे में कहीं बिजली का करंट न उतर आए इसलिए सुबह 4 बजे और 6 बजे होने वाली आरती टॉर्च की रोशनी में करनी पड़ी। अगर एक-दो दिन में इंतजाम नहीं हुआ, तो दर्शन और पूजन की व्यवस्था बंद करनी पड़ेगी।’ अब यदि इस स्थिति को तुरंत ठीक नहीं किया गया तो आने वाले बारिश के मौसम में रामलला की पूजा-अर्चना करने तक में भी मुश्किल आ सकती है।

क्यों टपकी छत

इधर पहली ही बारिश में राम मंदिर की छत चूने की बात से सोशल मीडिया पर मानों बवाल ही मच गया। वहीं निर्माण की गुणवत्‍ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। इस बीच खुद निर्माण समिति के अध्‍यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने छत से पानी टपकने की वजह बता दी है। मिश्र ने कहा, ‘मैं अयोध्या में ही हूं। मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा है, क्योंकि गुरु मंडप खुला है। जब इसके शिखर का काम पूरा हो जाएगा, तो ये भी ढक जाएगा। फिलहाल ऐसे हालात में ये होना ही है।’

दरअसल मंदिर की दूसरी मंजिल पर निर्माण कार्य हो रहा है जिससे इसकी छत पूरी तरह खुली हुई है। इसलिए वहां पानी भर गया और छत से नीचे भी टपका। इस तरह खुले फर्श से पानी टपक सकता है। लेकिन अगले महीने के अंत तक दूसरी मंजिल की छत भी बंद हो जाएगी। इससे यह समस्‍या नहीं होगी।

मंदिर की डिजाइन पर भी सवाल

फिलहाल गर्भगृह में भरे हुए पानी को हाथों से या फिर मैन्‍यूअली ही निकाला जा रहा है। ऐसे में पानी की निकासी की समुचीत व्‍यवस्‍था ना होने से इसे लेकर मंदिर की डिजाइन पर भी सवाल उठनेपर नृपेंन्‍द्र मिश्र ने कहा कि गर्भगृह में जल निकासी नहीं हे क्‍योंकि गर्भगृह के पानी को मैन्‍यूअली ही अवशोषित किया जाता है। बाकी सभी मंडपों में ढलान भी है और निकासी की व्‍यवस्‍था भी है।

अब तक 1800 करोड़ खर्च

बता दें कि राम मंदिर में अभी सिर्फ एक फ्लोर ही तैयार है। इसी पर कुल 1800 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। मुख्य शिखर, परकोटा, 5 छोटे शिखर 13 मंदिर, ट्रस्ट के ऑफिस, VVIP वेटिंग एरिया, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, लाइब्रेरी और शोध संस्थान समेत और भी कई काम बाकी हैं। मंदिर के डिजाइन और कंस्ट्रक्शन देखना वालों को कहना है कि बचे काम में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा भी लग सकते हैं।

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